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एक पिता द्वारा अपनी बेटी की शादी मे गाया हुआ एक बहुत ही सुन्दर गीत

ऐसा नये जमाने का सीता हरण आपने पहले नही देखा होगा

शानदार प्रदर्शन

-✍️✍️ये कहानी आपके जीने की सोच बदल देगी! एक दिन एक किसान का बैल कुएँ में गिर गया। वह बैल घंटों ज़ोर -ज़ोर से रोता रहा और किसान सुनता रहा और विचार करता रहा कि उसे क्या करना चाहिऐ और क्या नहीं। अंततः उसने निर्णय लिया कि चूंकि बैल काफी बूढा हो चूका था अतः उसे बचाने से कोई लाभ होने वाला नहीं था और इसलिए उसे कुएँ में ही दफना देना चाहिऐ।। किसान ने अपने सभी पड़ोसियों को मदद के लिए बुलाया सभी ने एक-एक फावड़ा पकड़ा और कुएँ में मिट्टी डालनी शुरू कर दी। जैसे ही बैल कि समझ में आया कि यह क्या हो रहा है वह और ज़ोर-ज़ोर से चीख़ चीख़ कर रोने लगा और फिर ,अचानक वह आश्चर्यजनक रुप से शांत हो गया। सब लोग चुपचाप कुएँ में मिट्टी डालते रहे तभी किसान ने कुएँ में झाँका तो वह आश्चर्य से सन्न रह गया.. अपनी पीठ पर पड़ने वाले हर फावड़े की मिट्टी के साथ वह बैल एक आश्चर्यजनक हरकत कर रहा था वह हिल-हिल कर उस मिट्टी को नीचे गिरा देता था और फिर एक कदम बढ़ाकर उस पर चढ़ जाता था। जैसे-जैसे किसान तथा उसके पड़ोसी उस पर फावड़ों से मिट्टी गिराते वैसे -वैसे वह हिल-हिल कर उस मिट्टी को गिरा देता और एक सीढी ऊपर चढ़ आता जल्दी ही सबको आश्चर्यचकित करते हुए वह बैल कुएँ के किनारे पर पहुंच गया और फिर कूदकर बाहर भाग गया । ध्यान रखे आपके जीवन में भी बहुत तरह से मिट्टी फेंकी जायेगी बहुत तरह की गंदगी आप पर गिरेगी जैसे कि , आपको आगे बढ़ने से रोकने के लिए कोई बेकार में ही आपकी आलोचना करेगा कोई आपकी सफलता से ईर्ष्या के कारण आपको बेकार में ही भला बुरा कहेगा कोई आपसे आगे निकलने के लिए ऐसे रास्ते अपनाता हुआ दिखेगा जो आपके आदर्शों के विरुद्ध होंगे... ऐसे में आपको हतोत्साहित हो कर कुएँ में ही नहीं पड़े रहना है बल्कि साहस के साथ हर तरह की गंदगी को गिरा देना है और उससे सीख ले कर उसे सीढ़ी बनाकर बिना अपने आदर्शों का त्याग किये अपने कदमों को आगे बढ़ाते जाना है। सकारात्मक रहे.. सकारात्मक जिए! 🙏🌹🙏

​​पिता बेटी ​​पापा मैने आपके लिए हलवा बनाया है 11 साल की बेटी​​ बोली ​​अपने पिता से बोली जो की अभी ऑफिस से घर में पहुंचे ही थे ​​पिता​ - वाह क्या बात है,लाकर खिलाओ फिर पापा को !!​ ​​बेटी दौड़ती हुई फिर रसोई में गई और बड़ा कटोरा भरकर हलवा लेकर आई​​ ​​पिता ने खाना शुरू किया और बेटी को देखा पिता की आखों में आंशू आ गये ​क्या हुआ पापा हलवा अच्छा नहीं लगा​ क्या ​पिता - नहीं मेरी बेटी बहुत अच्छा बना है , और देखते देखते पूरा कटोरा खाली कर दिया​ ​इतने में माँ बाथरूम से नहाकर बाहर आई, और बोली : ला मुझे खिला अपना हलवा !!​ ​पिता ने बेटी को 50 रुपए इनाम में दिये ।​ ​बेटी खुशी से मम्मी के लिए रसोई से हलवा लेकर आई​ ​मगर ये क्या जेसे ही उसने हलवा की पहली चम्मच मुँह में डाली तो तुरंत थूक दिया ।​ ​और बोली ये क्या बनाया है ... ये कोई हलवा है​ ​इसमें चीनी नहीं नमक भरा है,​ ​और आप इसे कैसे खा गए ये तो एकदम कड़वा है !!​ ​पत्नी :- मेरे बनाये खाने में तो कभी नमक कम है कभी मिर्च तेज है कहते रहते हो​ ​और बेटी को बजाय कुछ कहने के इनाम देते हो !!​ ​पिता हँसते हुए : पगली ... तेरा मेरा तो जीवन भर का साथ है ...​ ​रिश्ता है पति पत्नी का, जिसमे नोक झोक .. रूठना मनाना सब चलता है !!​ ​मगर ये तो बेटी है कल चली जाएगी ।​ ​आज इसे वो अहसास ... वो अपनापन महसूस हुआ जो मुझे इसके जन्म के समय हुआ था ।​ ​आज इसने बड़े प्यार से पहली बार मेरे लिए कुछ बनाया है ,​ ​फिर बो जैसा भी हो मेरे लिए सबसे बेहतर और सबसे स्वादिष्ट है !!​ ​ये बेटिया अपने पापा की परीया और राजकुमारी होती है जैसे तुम अपने पापा की परी हो !!​ ​वो रोते हुए पति के सीने से लग गई और सोच रही थी ... इसी लिए हर लड़की अपने पति में अपने पापा की छवि ढूंढ़ती है !!​ ​दोस्तों ... यही सच है,​ ​हर बेटी अपने पिता के बड़े करीब होती है या यूँ कहें कलेजे का टुकड़ा​ ​इसलिए शादी में विदाई के समय सबसे ज्यादा पिता ही रोता है !!​ ​कई जन्मों की जुदाई के बाद बेटी का जन्म होता है ,​ ​इसलिए तो कन्या दान करना सबसे बड़ा पूण्य होता है !!​ ​​यदि आप अपनी बेटी से pyaar करते है तो इसे आगे जरूर share करे !!​​ Please Please 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 ​✍ ​

बेटा तुम्हारा इन्टरव्यू लैटर आया है। मां ने लिफाफा हाथ में देते हुए कहा। यह मेरा सातवां इन्टरव्यू था। मैं जल्दी से तैयार होकर दिए गए नियत समय 9:00 बजे पहुंच गया। एक घर में ही बनाए गए ऑफिस का गेट खुला ही पड़ा था मैंने बन्द किया भीतर गया। सामने बने कमरे में जाने से पहले ही मुझे माँ की कही बात याद आ गई बेटा भीतर आने से पहले पांव झाड़ लिया करो।फुट मैट थोड़ा आगे खिसका हुआ था मैंने सही जगह पर रखा पांव पोंछे और भीतर गया। एक रिसेप्शनिस्ट बैठी हुई थी अपना इंटरव्यू लेटर उसे दिखाया तो उसने सामने सोफे पर बैठकर इंतजार करने के लिए कहा। मैं सोफे पर बैठ गया, उसके तीनों कुशन अस्त व्यस्त पड़े थे आदत के अनुसार उन्हें ठीक किया, कमरे को सुंदर दिखाने के लिए खिड़की में कुछ गमलों में छोटे छोटे पौधे लगे हुए थे उन्हें देखने लगा एक गमला कुछ टेढ़ा रखा था, जो गिर भी सकता था माँ की व्यवस्थित रहने की आदत मुझे यहां भी आ याद आ गई, धीरे से उठा उस गमले को ठीक किया। तभी रिसेप्शनिस्ट ने सीढ़ियों से ऊपर जाने का इशारा किया और कहा तीन नंबर कमरे में आपका इंटरव्यू है। मैं सीढ़ियां चढ़ने लगा देखा दिन में भी दोनों लाइट जल रही है ऊपर चढ़कर मैंने दोनों लाइट को बंद कर दिया तीन नंबर कमरे में गया । वहां दो लोग बैठे थे उन्होंने मुझे सामने कुर्सी पर बैठने का इशारा किया और पूछा तो आप कब ज्वाइन करेंगे मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ जी मैं कुछ समझा नहीं इंटरव्यू तो आप ने लिया ही नहीं। इसमें समझने की क्या बात है हम पूछ रहे हैं कि आप कब ज्वाइन करेंगे ? वह तो आप जब कहेंगे मैं ज्वाइन कर लूंगा लेकिन आपने मेरा इंटरव्यू कब लिया वे दोनों सज्जन हंसने लगे। उन्होंने बताया जब से तुम इस भवन में आए हो तब से तुम्हारा इंटरव्यू चल रहा है, यदि तुम दरवाजा बंद नहीं करते तो तुम्हारे 20 नंबर कम हो जाते हैं यदि तुम फुटमेट ठीक नहीं रखते और बिना पांव पौंछे आ जाते तो फिर 20 नंबर कम हो जाते, इसी तरह जब तुमने सोफे पर बैठकर उस पर रखे कुशन को व्यवस्थित किया उसके भी 20 नम्बर थे और गमले को जो तुमने ठीक किया वह भी तुम्हारे इंटरव्यू का हिस्सा था अंतिम प्रश्न के रूप में सीढ़ियों की दोनों लाइट जलाकर छोड़ी गई थी और तुमने बंद कर दी तब निश्चय हो गया कि तुम हर काम को व्यवस्थित तरीके से करते हो और इस जॉब के लिए सर्वश्रेष्ठ उम्मीदवार हो, बाहर रिसेप्शनिस्ट से अपना नियुक्ति पत्र ले लो और कल से काम पर लग जाओ। मुझे रह रह कर माँऔर बाबूजी की यह छोटी-छोटी सीखें जो उस समय बहुत बुरी लगती थी याद आ रही थी। मैं जल्दी से घर गया मां के और बाऊजी के पांव छुए और अपने इस अनूठे इंटरव्यू का पूरा विवरण सुनाया. इसीलिए कहते हैं कि व्यक्ति की प्रथम पाठशाला घर और प्रथम गुरु माता पिता ही है...... Om shanti

एक बार की बात है , एक नौविवाहित जोड़ा किसी किराए के घर में रहने पहुंचा . अगली सुबह , जब वे नाश्ता कर रहे थे , तभी पत्नी ने खिड़की से देखा कि सामने वाली छत पर कुछ कपड़े फैले हैं , – “ लगता है इन लोगों को कपड़े साफ़ करना भी नहीं आता …ज़रा देखो तो कितने मैले लग रहे हैं ? “ पति ने उसकी बात सुनी पर अधिक ध्यान नहीं दिया . एक -दो दिन बाद फिर उसी जगह कुछ कपड़े फैले थे . पत्नी ने उन्हें देखते ही अपनी बात दोहरा दी ….” कब सीखेंगे ये लोग की कपड़े कैसे साफ़ करते हैं …!!” पति सुनता रहा पर इस बार भी उसने कुछ नहीं कहा . पर अब तो ये आये दिन की बात हो गयी , जब भी पत्नी कपडे फैले देखती भला -बुरा कहना शुरू हो जाती . लगभग एक महीने बाद वे यूँहीं बैठ कर नाश्ता कर रहे थे . पत्नी ने हमेशा की तरह नजरें उठायीं और सामने वाली छत की तरफ देखा , ” अरे वाह , लगता है इन्हें अकल आ ही गयी …आज तो कपडे बिलकुल साफ़ दिख रहे हैं , ज़रूर किसी ने टोका होगा !” पति बोल , ” नहीं उन्हें किसी ने नहीं टोका .” ” तुम्हे कैसे पता ?” , पत्नी ने आश्चर्य से पूछा . ” आज मैं सुबह जल्दी उठ गया था और मैंने इस खिड़की पर लगे कांच को बाहर से साफ़ कर दिया , इसलिए तुम्हे कपडे साफ़ नज़र आ रहे हैं . “, पति ने बात पूरी की . ज़िन्दगी में भी यही बात लागू होती है : बहुत बार हम दूसरों को कैसे देखते हैं ये इस पर निर्भर करता है की हम खुद अन्दर से कितने साफ़ हैं . किसी के बारे में भला-बुरा कहने से पहले अपनी मनोस्थिति देख लेनी चाहिए और खुद से पूछना चाहिए की क्या हम सामने वाले में कुछ बेहतर देखने के लिए तैयार हैं या अभी भी हमारी खिड़की गन्दी है !

एक गरीब परिवार में एक सुन्दर सी बेटी👰 ने जन्म लिया.. बाप दुखी हो गया बेटा पैदा होता तो कम से कम काम में तो हाथ बटाता,, उसने बेटी को पाला जरूर, मगर दिल से नही.... वो पढने जाती थी तो ना ही स्कूल की फीस टाइम से जमा करता, और ना ही कापी किताबों पर ध्यान देता था... अक्सर दारू पी कर घर में कोहराम मचाता था........ उस लडकी की मॉ बहुत अच्छी व बहुत भोली भाली थी वो अपनी बेटी को बडे लाड प्यार से रखती थी.. वो पति से छुपा-छुपा कर बेटी की फीस जमा करती और कापी किताबों का खर्चा देती थी.. अपना पेट काटकर फटे पुराने कपडे पहन कर गुजारा कर लेती थी, मगर बेटी का पूरा खयाल रखती थी... पति अक्सर घर से कई कई दिनों के लिये गायब हो जाता था. जितना कमाता था दारू मे ही फूक देता था... वक्त का पहिया घूमता गया " " " " बेटी धीरे-धीरे समझदार हो गयी.. दसवीं क्लास में उसका एडमीसन होना था. मॉ के पास इतने पैसै ना थे जो बेटी का स्कूल में दाखिला करा पाती.. बेटी डरडराते हुये पापा से बोली: पापा मैं पढना चाहती हूं मेरा हाईस्कूल में एडमीसन करा दीजिए मम्मी के पास पैसै नही है... बेटी की बात सुनते ही बाप आग वबूला हो गया और चिल्लाने लगा बोला: तू कितनी भी पड लिख जाये तुझे तो चौका चूल्हा ही सम्भालना है क्या करेगी तू ज्यादा पड लिख कर.. उस दिन उसने घर में आतंक मचाया व सबको मारा पीटा बाप का व्यहार देखकर बेटी ने मन ही मन में सोच लिया कि अब वो आगे की पढाई नही करेगी.... एक दिन उसकी मॉ बाजार गयी बेटी ने पूछा:मॉ कहॉ गयी थी मॉ ने उसकी बात को अनसुना करते हुये कहा : बेटी कल मै तेरा स्कूल में दाखिला कराउगी बेटी ने कहा: नही़ं मॉ मै अब नही पडूगी मेरी वजह से तुम्हे कितनी परेशानी उठानी पडती है पापा भी तुमको मारते पीटते हैं कहते कहते रोने लगी.. मॉ ने उसे सीने से लगाते हुये कहा: बेटी मै बाजार से कुछ रुपये लेकर आयी हूं मै कराउगी तेरा दखिला.. बेटी ने मॉ की ओर देखते हुये पूछा: मॉ तुम इतने पैसै कहॉसे लायी हो?? मॉ ने उसकी बात को फिर अनसुना कर दिया... वक्त वीतता गया " " " "मॉ ने जी तोड मेहनत करके बेटी को पढाया लिखाया बेटी ने भी मॉ की मेहनत को देखते हुये मन लगा कर दिन रात पढाई की और आगे बडती चली गयी....... """" """"""" """""""""" इधर बाप दारू पी पी कर बीमार पड गया डाक्टर के पास ले गये डाक्टर ने कहा इनको टी.बी. है """ """"" एक दिन तबियत ज्यादा गम्भीर होने पर बेहोशी की हालत में अस्पताल में भर्ती कराया.. दो दिन बाद उस जबे होश आया तो डाक्टरनी का चेहरा देखकर उसके होश उड गये वो डाक्टरनी कोई और नही वल्कि उसकी अपनी बेटी थी.. शर्म से पानी पानी बाप कपडे से अपना चेहरा छुपाने लगा और रोने लगा हाथ जोडकर बोला: बेटी मुझे माफ करना मैं तुझे समझ ना सका... दोस्तों बेटी आखिर बेटी होती है बाप को रोते देखकर बेटी ने बाप को गले लगा लिया.. एक दिन बेटी माँ से बोली: माँ तुमने मुझे आजतक नहीं बताया कि मेरे हाईस्कूल के एडमीसन के लिये पैसै कहाँ से लायी थी?? बेटी के बार बार पूछने पर माँ ने जो बात बतायी उसे सुनकर बेटी की रूह काँप गयी.... माँ ने अपने शरीर का खून बेच कर बेटी का एडमीसन कराया था.... दोस्तों तभी तो मॉ को भगवान का दर्जा दिया गया है माँ जितना औलाद के लिये त्याग कर सकती है उतना दुनियाँ में कोई और नही..

Happy father's day एक "पिता".... एक वैचारिक आँकलन - एक पुत्र अपने पिता के विषय में अपनी उम्र के अलग-अलग पड़ाव पर क्या विचार रखता है.. 4 वर्ष : मेरे पापा महान है। 6 वर्ष : मेरे पापा सबकुछ जानते है, वे सबसे होशियार है। 10 वर्ष : मेरे पापा बहुत अच्छे है, परन्तु गुस्से वाले है। 12 वर्ष : मैं जब छोटा था, तब मेरे पापा मेरे साथ अच्छा व्यवहार करते थे। 16 वर्ष : मेरे पापा वर्तमान समय के साथ नही चलते, सच पूछो तो उनको कुछ भी ज्ञान ही नही है ! 18 वर्ष : मेरे पापा दिनों दिन चिड़चिड़े और अव्यवहारिक होते जा रहे है। 20 वर्ष : ओहो अब तो पापा के साथ रहना ही असहनीय हो गया है, मालुम नही मम्मी इनके साथ कैसे रह पाती है। 25 वर्ष : मेरे पापा हर बात में मेरा विरोध करते है, कौन जाने, कब वो दुनिया को समझ सकेंगे। 30 वर्ष : मेरे छोटे बेटे को सम्भालना मुश्किल होता जा रहा है, बचपन में मै अपने पापा से कितना डरता था ? 40 वर्ष : मेरे पापा ने मुझे कितने अनुशासन से पाला था, आजकल के लड़को में कोई अनुशासन और शिष्टाचार ही नही है। 50 वर्ष : मुझे आश्चर्य होता है, मेरे पापा ने कितनी मुश्किलें झेल कर हम 3 भाई-बहनो को बड़ा किया, आजकल तो एक सन्तान को बड़ा करने में ही दम निकल जाता है। 55 वर्ष : मेरे पापा कितनी दूरदृष्टि वाले थे, उन्होंने हम सभी भाई-बहनो के लिये कितना व्यवस्थित आयोजन किया था, आज वृद्धावस्था में भी वे संयमपुर्वक जीवन जी सकते है। 60 वर्ष : मेरे पापा महान थे, वे जिन्दा रहे तब तक हम सभी का पूरा ख्याल रखा। सच तो यह है की पापा (पिता) को अच्छी तरह समझने में पुरे 60 साल लग गये । कृपया आप अपने पापा (पिता) को समझने में इतने वर्ष मत लगाना, समय से पहले ही समझ जाना। क्योंकि हमारे पिता हमारे बारे में कभी भी गलत विचार नही रखते सिर्फ हमारे विचार उनके प्रति गलत होते है जो हमें हमेशा समय निकल जाने के बाद अहसास होते है। इसलिए हमेशा अपने पिता का, उनके विचारों का हमेशा सम्मान करे। उन्हें आपके प्यार की, आपके सहारे की सबसे ज्यादा जरूरत है, माँ तो फिर भी रोकर आपका दुःख व्यक्त कर देती है पर पिता रो भी नही सकता क्योंकि वो एक पिता है। दुनियां के सभी पिता को समर्पित.......

आधा टिकट भाई साहब यह मेरा पूरा पर्स देख लीजिएगा। इसमें अब कुछ नहीं बचा है। इसमें ₹100 थे जो मैंने आप को दे दिए यह बोलते हुए उस गरीब बहन ने TC के हाथ में अपना पर्स दे दिया। शायद उसमें दो-चार ₹5 की चिल्लर और बची थी। लेकिन TC अड़ा हुआ था। मुझे ₹250 पेनल्टी के और ₹20 टिकट के अर्थात ₹270 चाहिए अन्यथा रतलाम में मैं तुम्हे पुलिस थाने में बंद करवा दूंगा। तुमने इस बच्चे का टिकट नहीं लिया है और इसकी उम्र 5 वर्ष से अधिक है। वह बात कर ही रहा था कि उसके दो साथी और आ गए और उन्होंने उस गरीब महिला को धमकाना चालू कर दिया । इतने में अगला स्टेशन आ गया । उन तीनों TC को लगा कि अब यहां से और कुछ मिलने की उम्मीद नहीं है ,इसलिए वे उस गरीब महिला के ₹100 लेकर उतर गये। उनके जाने के बाद उस महिला की हालत बहुत ही दयनीय दिखाई देने लगी। वह अपने ही दांतों से अपनी ही उंगलियां चबा रही थी। बीच-बीच में अपनी उंगलियों से आंखों में आया पानी भी साफ कर रही थी। मैं कुछ दूरी पर बैठा था मैंने अपने पड़ोसी को सो रुपए दिए और कहा वह यह सो रूपये उस बहन तक पहुंचा दो। उसने सो रुपए उस बहन तक पहुंचाए, लेकिन पहले तो उसने लेने से मना कर दिया। तब कोई नेकदिल इंसान बीच में आकर बोला ले लो बहन, कोई बात नहीं कोई किसी को नहीं देता है अल्लाह ने इंसान को नेक बुद्धि दी है कि वह तुम्हें सो रुपए दे रहा है और तुम यह समझो कि वह तुम्हें नहीं दे रहा है वह छोटी बालिका को दे रहा है ऐसी समझा-बुझाकर उसके पर्स में वह सो रुपए का नोट रख दिया। कुछ देर पश्चात पास में बैठी एक और बहन ने अपने पर्स में से ₹10 निकाले और उसने उस छोटी बिटिया के हाथ में रखे और बोला आप मना ना कीजिएगा । अब रतलाम आने वाला था और उस बहन को जावरा तक जाना था उसके पास एक ही अपना टिकट था और उस बिटिया का टिकट उसने नहीं लिया था जिसके कारण TC पैनल्टी मांग रहा था अब TC ₹100 लेकर चला गया और इसके पास एक ही टिकट था। तब मैंने बोला अब आप जावरा तक का आधा टिकट और ले लीजिएगा । और अगर आप ना ला सकते हो तो मैं ला कर दे देता हूं । तभी एक सज्जन उठे उन्होंने बोला भाई साहब आप क्यों तकलीफ उठाते हो आपके पास सामान भी है मैं खाली हाथ हूं मेरे पास कोई सामान नहीं है इसलिए यह नेक काम मुझे ही कर दे दीजिए। यह व्रतांत आज का ही है और इसको लिखने का मकसद एक ही है जब भी अवसर मिले हमें किसी की सहायता करनी चाहिए और अगर एक हाथ मदद के लिए उठता है तो हजार हाथ और भी उठते हैं । मुझे इस बात का सुकून रहेगा कि आज मैने किसी का दुःख शेयर किया।